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श्रु० १, अ०५. उ० १ सू०१४२
अहिंसा
दुःख- परिज्ञा
आज्ञा-पंडित
ख
ग
१३६ क
ख
१३७ क
ख
सूत्र संख्या ३
१३८ क
ख
ग
घ
१३६
१४० क
ख
ग
घ
१४१ क
ख
सूत्र संख्या ४
१४२ क
ख
१७
समाधि—जीर्णकाष्ठ का उदाहरण दुःख क्रोधमूलक है अनिदान (पापकर्मों से निवृत्ति)
चतुर्थ संक्षेप वचन उद्देशक
संयम - तपश्चर्या में वृद्धि
वीरमार्ग
तप से कृशता
ब्रह्मचर्य
बाल-मोहान्ध
सम्यक्त्व
बुद्ध ( आरम्भ से उपरत ) निष्कर्मदर्शी (आरम्भ से उपरत ) वेदवित् ( कर्मबन्ध से निवृत्ति )
सत्य
सर्वज्ञ को कोई उपाधि नहीं
पंचम लोकसार 'अध्ययन प्रथम एकचर उद्देश्यक
हिंसा ( अर्थ - अनर्थ ) हिंसक की गति विषयेच्छा का त्याग अति कठिन
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१. इस अध्ययन का दूसरा नाम " अवन्ति" है । अध्ययनादावावन्तोशब्दस्यो
च्चारणाद्” – आचा० टोका,
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