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आचारांग-सूची
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श्रु०१, अ०.४, .उ०३. सू०१३५
चतुर्थ सम्यक्त्व अध्ययन
प्रथम सम्यक्वाद उद्देशक १२७
अहिंसा धर्म सत्यधर्म है १२८ क- धर्म में दृढ़ता ख
निर्वेद (वैराग्य)
लोकैषणा-निषेध १२६ क.
धर्मोपदेश भोगी का जन्म-मरण
रत्न-बय की आराधना ख- अप्रमाद का उपदेश सूत्र संख्या ४
द्वितीय धर्मप्रवादी परीक्षा उद्देशक १३१ क- कर्मबन्ध एवं कर्मक्षय के हेतुओं में समानता
श्रावक----संवर धर्म में अप्रमाद मृत्यु अवश्यंभावी है. जन्म-मरण
, , नरक में कर्म-वेदना
श्रुतकेवली और केवली का समान कथन १३४ अहिंसा की परिभाषा
१३२ क
१३३ क
सूत्र संख्या ४
तृतीय अनवद्य तप उद्देशक उपेक्षा-भाव वाला विज्ञ है
१३५ क-
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