Book Title: Jain Vidhi Vidhan Sambandhi Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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हृदयोदगार
किसी भी धर्म दर्शन में उपासनाओं का विधान अवश्यमेव होता है । भारतीय सभी धर्म दर्शनों में आध्यात्मिक उत्कर्ष हेतु अनेक प्रकार से उपासनाएं बतलाई गई है । जीवमात्र के लिए जनकल्याण की शुभकामना करने वाले हमारे पूज्य ऋषि मुनिओं द्वारा दानशील तप जपादि अनेकविध धर्म आराधनाओं का विधान किया गया है ।
प्रत्येक उपासनाओं का विधि-क्रम अलग अलग होता है । इसी प्रकार जैन विधि विधानों का इतिहास और वैविध्यपूर्ण जानकारियाँ इस ग्रंथ में दी है । ज्ञान उपासिका साध्वी सौम्यगुणीश्रीजी ने खूब मेहनत करके इसका सुन्दर संयोजन किया है ।
भव्य जीवों को अपने योग्य आराधनाओं के बारे में बहुत कुछ जानकारियाँ इस ग्रन्थ के द्वारा मिल सकती है ।
मैं साध्वी श्री सौम्यगुणाजी को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ कि इन्होंने आराधकों के लिए उपयोगी सामग्री से भरपूर विधि विधान जैसे ग्रंथ का संपादन किया । ___ मैं कामना करता हूँ कि इसके माध्यम से अनेक ज्ञानपिपासु अपना इच्छित लाभ पास करेंगे ।
आचार्य पद्मसागरसूरि सादड़ी-राणकपुर भवन पालिताणा
अन्तराशीष
हमें यह ज्ञात कर अत्यंत प्रसन्नता की अनुभूति हुई है कि आपने जैन धर्म के विधानों के साहित्य के इतिहास के संदर्भ में एक ओर नई पुस्तक को प्रस्तुत करने का प्रबल पुरूषार्थ किया है।
मैं आपको इस पुरूषार्थ हेतु बधाई प्रस्तुत करता हूँ और गुरूदेव से कामना करता हूँ कि आपका पुरूषार्थ सतत् इस क्षेत्र में प्रवृत्त होता रहे और शासन व गच्छ को नये प्रकाशनों का उपहार प्राप्त होता रहे ।
उपाध्याय मणिप्रभसागर
22 जुलाई 2006 पूना
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