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किरण २] . संस्कृत में दूतकाव्य साहित्य का निकास और विकास हैं। रामेश्वरम् और गुणपुर के मध्यवर्ती स्थल का भूगोल भी खूब आ गया है। (J.R.A.S., 1884, p. 449)
(३८) शुकसंदेश-करिङ्गपल्लि नम्बूदि रचित । (List of Skt. Mss. Private Libraries of South. India Oppert, Nos. 2721, 6241)
(३६) शुकसंदेश'- रङ्गाचार्य कृत । मालूम नहीं इसके कर्ता भी वही हैं जो मयूरसंदेश (नं० ३०) के हैं।
(५०) सिद्धदूत-अवधूतराम-रचित । (Report of a Search of Skt. Mss., Kathavate, No. 596).
(४१) सुभगसंदेश--नारायण-कृत १३० श्लोकों में पूर्ण है। (J.R.A.S., 1884, p. 449) __(४२) हंसदूत-रूपगोस्वामिन् की रचना है, यद्यपि किन्हीं प्रतियों में उनके भतीजे जीवगोस्वामिन् को इसका कर्ता लिखा है। रूपगोस्वामिन् । १६वीं श० में हुए हैं और यह बंगाल के सुधारक चैतन्य के निकट शिष्यों में से एक थे। गौड़ के बादशाह अल्लाउद्दीन हुसैन शाह के दरबार में यह वैष्णव होने के पहले किसी शाही पदपर नियत थे। उपरांत यह वैष्णवधर्म के उत्कट प्रचारक हुये और तत्सम्बन्धी अनेक ग्रंथ इनने लिखे। हंसदूत में गोपियों के द्वारा हंस को दूत बनाकर कृष्ण जी के पास भेजने का वर्णन शिखरिणी छंदों में है। इनकी संख्या किसी प्रति में १०१ और अन्यों में इससे ज्यादा मिलती है ।
(४३) हंस-संदेश -श्रीवैष्णवों के प्रसिद्ध आचार्य और प्रख्यात विद्वान् वेङ्कटेश की कृति है, जो वेदांतदेशिक अथवा वेदान्ताचार्य नाम से भी परिचित हैं। इनने अनेक विषयों पर संस्कृत में १२१ ग्रंथ रचे थे। और तामिल में २४ ग्रंथ अलग ही लिखे थे। हंससंदेश में इनने राम-द्वारा हंस को दूत बनाकर लंका में सीताजी के पास भेजने का वर्णन किया है। यह दो आश्वासों में पूर्ण है, जिनमें क्रमशः ६० और १० श्लोक हैं।
(४४) हंससंदेश-भवामनकृत । शाप पाये हुये एक यक्ष ने अपनी पत्नी को हंस-द्वारा जो संदेश भेजा, उसका वर्णन है। भाव कालिदास जी के मेघदूत के ही समान है।
(४५) हंस-संदेश-यह सैद्धान्तिक काव्य ११० श्लोकों में पूर्ण है। (J.R.A.S., 1884 p. 450).
(४६) हंसदूत- रघुनाथदास-कृत। (वङ्ग-साहित्य परिचय-डी० सी० सेन, पृ० ८५०)। (४७) हृदयदूत-भट्ट हरिहर की रचना वसंत तिलका छंदों में हैं। (Weber,I, No. 571).
9 | Catalogue of Skt. Mss. in Mysore and Coorg, Rice, No. 2250, २ | Haeberlin's Skt. Anthology, pp. 323 ff etc. ३ । Cf. Des. Catl. of Skt. Mss. in the Govtt. Skt. College, Ms. No. 162.) ४ । गवर्नमेन्ट ओरियन्टल लायब्ररी, मैसूर (१९१३) द्वारा प्रकाशित । ५। भूमिका, हंससंदेश-मैसूर एडीशन-पृष्ठ ६। ६। A Des. Catl. of Skt. Mss.
in the Govt. Orient. Library, Madras. vol.XX, No. 11912.