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भास्कर
[भाग
प्रकरण, लाभालाभप्रकरण, मोक्षप्रकरण, स्त्रीसंभोगप्रकरण, भोजनप्रकरण, स्वमप्रकरण, सामुद्रिकपकरण, स्वरप्रकरण, वास्तुविद्याप्रकरण, शकुनप्रकरण, देहलोदीक्षाप्रकरण, अजनबियाप्रकरण, विषविद्याप्रकरण। इसी प्रकार देशभेद, उपकरणभेद, शास्त्रभेद, रतभेद, पक्षिभेद, यन्त्रभेद, मन्त्रभेद, जातिभेद, मुद्राभेद आदि अनेक द्रव्यों के भेद भी इसमें दरसाये गये हैं। बल्कि मुद्राभेद नामक शीर्षक में विक्रम, चालुक्य, कादम्ब, युधिष्ठिरादिक अनेक ऐतिहासिक एवं पौराणिक प्रसिद्ध व्यक्तियों के नाम भी आये हैं।
(११) बन्ध नं० २१४
दानशासन कर्चा-श्रीवासुपूज्य ऋषि
विषय-दानफलादिविवरण भाषा-संस्कृत
चौडाई ५।। इञ्च
लम्बाई १३॥ इञ्च
पत्रसंख्या ५५
प्रारम्भिक भाग
यस्य पादाब्जसद्गन्धाघ्राणनिर्मुक्तकल्मषाः । ये भव्याः सन्ति तं देवं जिनेन्द्र प्रणमाम्यहम् ॥१॥ दानं वक्ष्येऽथ वारीव शस्यसम्पत्तिकारणम् ।
क्षेत्रोप्तं फलतीव स्यात् सर्वस्त्रीषु समं सुखम् ॥२॥ . शुद्धसइदृष्टिभिः शुद्धपुण्योपार्जनलम्पटैः।
सार्द्ध ब यादिम अन्य नेतरैस्तु कदाचन ॥३॥
मध्य भाग (पूर्व पृष्ठ २८ पंक्ति ?म)
श्रीमचिलोकभवनान्तरसर्ववस्तुप्राहिप्रबोधनिटिलाक्षिविराजमानम् । ज्ञानकगोचरमशेषमुनीन्द्रवन्यमिन्द्राचिनानिमहत्वामहं सामि ॥