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वास्तु-स्मारक एवं मूर्तिकला 600 से 1000 ई०
[ भाग 4
पुष्पांकित चौकोर शीर्षफलक मंदिर के सामने सफाई कराते समय उपलब्ध हुआ था। यह गुफा-मंदिर पाण्ड्य साम्राज्य के उत्तरी भाग में अवस्थित था, जिसे पल्लव-शक्ति ८६२ ई० के पूर्व कभी भी आक्रांत नहीं कर सकी । अतएव यह कभी भी पल्लव निर्मित गुफा-मंदिर नहीं था, जैसा कि कुछ लेखकों का विचार है। ऐसा प्रतीत होता है कि इसका उत्खनन मूलतः सातवीं शताब्दी के अंत में अथवा पाठवीं शताब्दी के
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3 METRES 4.2.0_ रेखाचित्र 11. शित्तन्नवासल : गुफा-मंदिर की रूपरेखा
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प्रथम चरण में, पाण्ड्य मारन शेन्दन (६५४-६७० ई०) और अरिकेशरी मारवर्मन (६७०-७०० ई०) के राज्यकाल में तथा मारवर्मन के जैन मत से शैव मत में धर्म-परिवर्तन के पहले हुआ है, जैसी कि मलैयडिकुकुरुच्चि और पेच्चिप्पार के गुफा-मंदिरों की स्थिति है। अग्रभाग के स्तंभों के नीचे पूर्वोक्त दो अभिलेखों के ऊपरी भाग के पलस्तर पर भव्य चित्रांकन, जो मदुरै आशिरियन की पुननिर्माण और पुनःसज्जा की घोषणा के अनुसार चित्रित हैं, केवल नौवीं शताब्दी के मध्यकाल के होने चाहिए।
1 विस्तृत विवेचन के लिए द्रष्टव्य : श्रीनिवासन (के आर). ए नोट ऑन द डेट ऑफ द शित्तनवासल पेंटिंग्स.
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