Book Title: Jain Hiteshi 1913 Ank 04 05
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 12
________________ २०२ चिता कन्याकी अपेक्षा परिचिता कन्याका चुनाव करना बहुत सहज है इस लिए पाठको, तुम्हें चाहिए कि अपने दरिद्र पडोसीकी जिस हँसमुख कन्याको तुम सुशीला और बुद्धिमती जानते हो, अन्यत्रकी अपरिचिता रूपवती और धनी कन्याका त्याग करके भी उसके साथ विवाह कर लो । ऐसा करने से तुम्हारा गृहस्थ जीवन बहुत कुछ सुखमय हो जायगा । तीसरा उपाय यह है कि कन्याके पिता, भाई, मामा आदिका स्वभाव जानकर उसके स्वभावका पता लगाना । कन्यामें बहुत से गुण तो ऐसे होते हैं जो उसकी वंशपरम्परोंसे चले आये है और बहुत से ऐसे होते हैं जो उसके पालनपोषण करनेवाले लोगों के सहवास य प्रभाव उत्पन्न हुए हैं । इसी कारण उसके कुटुम्बियों का परिचय पाक स्वयं उसका भी बहुत कुछ परिचय पाया जा सकता है । जिस घरके लोग मूर्ख और दुराचारी हैं उसे छोड़कर जिस घरके लोग सच्चरित्र और विद्वान हैं उसी घरकी कन्या लाना चाहिए । अत्र रूपके विषय में विचार करना चाहिए । अँगरेजी में एक कहावत है कि Health is beauty, अर्थात् स्वास्थ्य या निरोगता ही सौन्दर्य है । जहाँ नीरोगता नहीं वहाँ रूप नहीं । नीरोग इ और प्रफुल मनके लिए अंगोंका लावण्य अवश्य ही प्रयोजनीय परन्तु उसका अधिक विचार करने की जरूरत नहीं है । यदि अधिक रूप हुआ तो अच्छा ही है और न हुआ तो कोई हानि भी नहीं हैं हमें उस सौन्दर्यके समझने का अभ्यास करना चाहिए जो मनकी अच्छी वृत्तियों के प्रभाव से मुखकी आकृति में झलका करता है और जो केवल आँखोंकी विशालता और नाककी ऊँचाईपर अवलम्बित नहीं है । प्रसिद्ध लेखक बाबू बंकिमचन्द्र ने अपने ' कुन्दनन्दिनी ( विपवृक्ष ) For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

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