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कह देगा या झूठ कह देगा, अथवा बिलकुल ही चुप रह जायगा। बस, मनस्तत्त्वज्ञ विचारक, यन्त्र देखते ही जान लेगें कि वह सच कहता है या झूठ ।
मि० वार्टने इस यन्त्रके सिवा छुपी बातको जान लेनेके लिए एक और भी विलक्षण उपाय निकाला है । वे कहते हैं कि,-किसी व्यक्तिसे कोई बात पूछी जाय और वह यदि उसका ठीक उत्तर न देकर और बात कहे तो उसे कुछ न कुछ अवश्य सोचना पड़ेगा। सत्य बात तो प्रश्न करनेके साथ ही बाहर निकल पड़ती है परन्तु झूठ बातके कहनेमें, वह चाहे कैसा ही जबर्दस्त झूठ बोलनेवाला क्यों न हो उसे जो कुछ आयास या श्रम करना पड़ेगा उसका प्रमाण किसी तरह भी छुपा नहीं रह सकता । उसके शरीरके एक प्रत्यङ्गपर उसका प्रभाव पड़ेगा और उससे उसकी झूठ बात बातकी बातमें पकड़ ली जायगी। यह . प्रत्यङ्ग मनुष्यके हाथकी हथेली है। किसी बातको छुपानेके लिए जो श्रम करना पड़ता है, उससे मनुष्यकी हथेली पसीज उठती है। यह अवश्य है कि किसीकी हथेली कम पसीजती है और किसीकी अधिक। यह जाननेके लिए गवाहकी दोनों हथेलियाँ एक पानीसे भरे हुए वर्तनमें डुबा देनी पड़ती हैं और उस जलमें टेम्परेचर या तापमान यन्त्र रख दिया जाता है । इसके बाद बात पूछने पर यदि गवाह सच कहेगा तो जलकी शीतलता या उत्तापमें कुछ भी परिवर्तन न होगा, केवल शरीरकी गर्मीसे जितना होना चाहिए उतना ही होगा, किन्तु यदि वह झूठ बोलनेकी चेष्टा करेगा तो उसकी हथेलियाँ थोड़ी बहुत अवश्य पसीज आयगी तथा उनके प्रभावसे जलमें परिवर्तन हो जायगा और उस परिवर्तनकी साक्षी तापमान तत्काल ही दे देगा। तब न्यायधीशों और जूरियोंको सिरपच्ची न करना पड़ेगी, वे जान लेंगे कि गवाह सच कहता है या नहीं।
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