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छप गया.
छप गया !!
छप गया !!!
जैनियों की इच्छा पूर्ण ! अपूर्व आविष्कार !! न भूतो न भविष्यति !!!
अर्थात्
१) रुपया में १०० जैन पुस्तकें।
हमारी बहुत दिनोंसे यह इच्छा थी कि एक ऐसा पुस्तकोंका संग्रह छपाया जाय जो कि यात्रा व परदेशमें एक ही पुस्तक पास रखने से सब मतलब निकल जाया करे। आज हम अपने भाइयोंको खुशी के साथ सुनाते हैं कि उक्त पुस्तक " जैनार्णव " छपकर तैयार हो गया । हमने सर्व भाइयों के लाभार्थ इन १०० पुस्तकोंको
इकट्ठा कर छपाया है । तिसपर भी मूल्य सिर्फ १) रु० रक्खा है । ये सब पुस्तकें यदि फुटकर खरीदी जायें तो करीब ३) रु० के होंगी । परदेशमें यही एक पुस्तक पास रखना काफी होगा । ये देशी सफेद चिकने पुष्ट कागज पर सुन्दर टाईपमें छपी है । और सबको मिलाकर ऊपरसे मजबूत और सुन्दर टैटिल चढ़ाया है । जल्दी कीजिये क्योंकि हमारे पास अब सिर्फ आधी ही पुस्तकें बाकी रह गई हैं नहीं तो बिक जानेपर पछताओगे। कीमत की पुस्तक १) रुपया । डांक खर्च = ) दो आना ।
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जैनार्णव
मंगाने का पताः - चन्द्रसेन जैन वैद्य - इटावा ।
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