Book Title: Jain Hiteshi 1913 Ank 04 05
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 127
________________ ३१७ लिए तो भाखाके पदमपुरानजी ही बहुत हैं और वे अब छप गये हैं इसलिए उनके सँभालने की जरूरत नहीं । जिस दिन वी. पी. आया अपनी तो उसी दिन सुतपंचमी है । विविध समाचार | 1 जैनजातिका हास - दक्षिणम ० जैन सभा के सभापति श्री - युक्त जयकुमार देवीदासजी चवरे वकीलने अपने व्याख्यान में कहा है. कि भारत के दूसरे समाजोंकी जनसंख्या जब बराबर बढ़ती जाती है। तब जैनसमाजकी जनसंख्या बड़ी तेजी से घट रही है । पिछले १० वर्षोंमें हमारी संख्या में प्रतिशत ६-४ की कमी हुई है । और जिनजातियोंकी जनसंख्या थोड़ी है उनमें तो यह कभी प्रतिशत १५ से कम नहीं हुई है | हमारे बरार प्रान्तमें तो बहुतसी जातियाँ बिलकुल नाश होनेके सम्मुख हो रही हैं । बरार प्रान्तके प्रायः सब ही लोग जानते हैं कि वहाँकी 'कुकेकरी' नामकी एक जैनजातिका थोडे व पहले सर्वथा ही लोप हो गया है ! इस पर जैमसमाजके नेताओंको ध्यान देना चाहिए । जैन गुरुकुलकी स्थापना -- पालीताणाकी 'यशोविजय जैनपाठशाला' 'श्रीमहावीरयशोवृद्धि जैन गुरुकुल' के रूप में परिवर्तित कर दी गई । गत अक्षय्यतृतीया (वैशाख शुक्ला तृतीया ) को गुरुकुलकी इमारतका मुहूर्त पालीताणा के एड मिनिस्टर मेजर एच. एस. स्ट्रोंग साहबके हाथसे खूब ठाटवाट के साथ किया गया । गुरुकुलमें इस समय ५१ विद्यार्थी हैं । नई धर्मशाला -- सम्मेद शिखर जानेवाले यात्रियोंके आराम के लिए. ईसरी स्टेशनपर गुंजेटीवाले सेठ धनजी रेवचन्दकी ओर से एक.. धर्मशाला बन गई है । धर्मशाला स्टेशन से बिलकुल करीब है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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