Book Title: Jain Hiteshi 1913 Ank 04 05
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 137
________________ F कुमारसंभवसार ( कविता ) कालिदासकी निरंकुशता जलचिकित्सा । नाट्यशास्त्र महाभारत (सचित्र ) रघुवंश महाकाव्य बेकनविचार रत्नावली शिक्षा हिन्दीभाषाकी उत्पत्ति विविध विषयोंकी पुस्तकें। इन्साफसंग्रह उपदेशकुसुम कर्मयोग ठहरो (उपदेशदर्पण ) Jain Education International 1) जानस्टुअर्ट ब्लैकी 1) नवजीवन विद्या चन्द्रकान्त ( वेदान्त ) 1] नाट्यप्रबंध ३) पश्चिमतर्क ु 1 २॥ ॥ १ २] भारतभ्रमण ( पांचभाग ) ९) 1) मनोविज्ञान २ मानसदर्पण राज्य प्रबंधशिक्षा Seeeee राष्ट्रीयसन्देश व्यवहारपत्रदर्पण स्वर्गीय जीवन स्वाधीनविचार リ 1) समाज ( रवीन्द्रनाथकृत ) 1 For Personal & Private Use Only नये जैनग्रन्थ | द्यानतविलास या धर्मविलास - कविवर द्यानतरायजीकी कविताकी प्रशंसा करनेकी जरूरत नहीं । सब ही जैनी उससे परिचित हैं । उनका यह ग्रन्थ जिसमें उनकी प्रायः सब ही कविताओं का संग्रह है बड़ी ही मिहनत, शुद्धता और सुन्दरतासे छपाया गया है । इसमें सारे जैनसिद्धान्तका रहस्य भरा हुआ है । मूल्य सिर्फ บ रु० । ( इसमें चरचाशतक, द्रव्यसंग्रह शामिल नहीं है क्योंकि ये ग्रन्थ जुदा छप चुके हैं ।) चर्चाशतक - मूलपद्य और सरल हिन्दी टीका सहित । मूल्य III] न्यायदीपिका - मूल संस्कृत और सरल हिन्दी भाषाटीका । मूल्य ||] गृहस्थ धर्म- - श्रावक धर्मका खुलाशा वर्णन है । मूल्य १ : जैन धर्मका महत्त्व - - अजैन विद्वानों, लेखकों, वाख्यातायों द्वारा जैनधर्मका महत्त्व दिखलाया गया है । मूल्य बारह आने । 制 www.jainelibrary.org

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