Book Title: Jain Hiteshi 1913 Ank 04 05
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 139
________________ प्रवचन सार--मूल संस्कृत, छाया अमृतचन्द्र सूरि और जयसेन सूरि कृत दो संस्कृत टीका और-पं० मनोहरलालजी कृत भाषाटीका सहित । मूल्य तीन रु.। __ गोम्मटसार कर्मकाण्ड-मूल, संस्कृत छाया और पं०मनोहरलालजीकी बनाई हुई संक्षिप्त भाषा टीकासहित । मूल्य दो रुपया। सत्यार्थ यज्ञ--दूसरा नाम मनरंगलालजी कृत चौबीस तीर्थकर पूजा । यह विधान अभी हाल ही में छपा है । मूल्य आठ आने । यशोधर चरित--मूल प्राकृत और भाषाटीका सहित । मूल्य २) आराधनासार कथा कोश--इसमें १०८ कथायें कवितामें वर्णन की गई हैं । मूल्य ३॥ जिनेन्द्रगुणगायन--इसमें नाटककी चालके हुजूरी नई तर्जके पद, भजन, दादरा, ठुमरी, गजल, रेखता इत्यादि हैं । मूल्य दो आने। जैन उपदेशी गायन--इसमें नई तर्जके नाटकादिके ५३ भजनोंका संग्रह है। मूल्य ढाई आने । हितोपदेश वैद्यक--जैनाचार्य श्रीकण्ठसूरि रचित । मुरादाबाद निवासी पं० शंकरलालजी जैन वैद्यने इसकी भाषा टीका की है । मूल्य १३ समरादित्यसंक्षिप्त--श्वेताम्बराचार्यकृत प्रसिद्ध संस्कृत ग्रन्थ । इसका कथाभाग और कवित्व वहुत सुन्दर है । मूल्य ढाई रुपया। जैनेन्द्र पंचाध्यायी-मूल सूत्र पाठ मात्र । मूल्य चार आने । जैनेन्द्र प्रक्रिया--पुर्वार्द्ध, आचार्य वर्य गुणनन्दि रचित व्याकरण ग्रंथ मूल्य बारह आने। - सनातन जैन ग्रंथमाला--प्रथम खण्ड, आप्तपरीक्षा और पत्रपरीक्षा संस्कृत टीका सहित हैं। मूल्य एक रु० अन्यान्य स्थानोंकी पुस्तकें। स्वर्गीय जीवन-अमेरिकाके प्रसिद्ध अध्यात्मिक विद्वान राल्फ वाल्डो ट्राईनकी अंग्रेजी पुस्तकका अनुवाद । अनुवादक, सुखसम्पत्तिराय भंडारी उपसम्पा. दक सद्धर्म प्रचारक । पवित्र, शान्त, निरोगी, और सुखमय जीवन कैसे बन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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