Book Title: Jain Dharmamrut Author(s): Siddhasen Jain Gpyaliya Publisher: Siddhasen Jain Gpyaliya View full book textPage 7
________________ २-भव्य -भव्य (जिसे रलत्रय की प्राप्ति हो सके) २-अभव्य (जिसे रत्नत्रय की प्राप्ति न हो) २-आहारक ५-आहारक २-अनाहारक -सेनी. -सैनी (जिसके मन होय ) २-असैनी (जिसके मन न होय) २-परिग्रह-- १-अंतरंग ( कपायादि) २-बहिरंग ( धनधान्यादि) २-गध १-नुगंध (खुशबू) २-दुर्गध ( वदवू) २-पुदगल --अणु (सबसे छोटा पुद्गल-जिसका टुकडा न हो सके) २-स्कंध (अनेक परमाणुओंका बंध) २-आकाश १-लोकाकाश (जहां छहों द्रव्य हों) २-अलोकाकाश (जहां केवल आकाश द्रव्य हो)Page Navigation
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