Book Title: Jain Dharmamrut
Author(s): Siddhasen Jain Gpyaliya
Publisher: Siddhasen Jain Gpyaliya

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Page 64
________________ उद्यत होना) 3-देशना-( सद्गुरु के उपदेश से तत्वज्ञान की प्राप्ति होना -प्रयोग ( काल पाकर प्रत धारण करके व उपवासादि तपश्चर्या करके भायु-कर्म सिवाय शेष कर्मों की स्थिति को अंतः काडाकाडी सागर प्रमाण कर देना ) ५-करण ( परिणाम ) 3-परावर्तन १-द्रव्य ( संसार में भ्रमण करना ) २-क्षेत्र 3-काल ( "सर्वार्थ सिद्धि" में देखो ) ४-भव ५-भाव -५-पंचामृतादिभिषेक २-दही ४-सुगंधित जल ५-इवरस ५-अमक्ष्य १-सघात ( जिंन के खाने में त्रस जीवो का धात है)

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