Book Title: Jain Dharmamrut
Author(s): Siddhasen Jain Gpyaliya
Publisher: Siddhasen Jain Gpyaliya

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Page 48
________________ १-ब्रह्मचर्याश्रम २--गृहस्थाश्रम ३--वानप्रस्थाश्रम ४-उदासीनाश्रम ४-हिंसा १-संकल्पी ( जान बूझ कर ) २-विरोधी ( अपना वचाव करने में ) ३-आर भी ( आरंभ करने में) ४-उद्योगी ( व्यापारादि में) ४-सम्यक्त्वचिन्ह १-प्रशम ( समता) २-सवेग ( वैराग्य ) ३-अनुकंपा ( दया ) ४-आस्तिक्य ( श्रद्धा ) १-द्रव्यमान, २- क्षेत्रमान ३--कालमान ४--भावमान

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