Book Title: Jain Dharmamrut
Author(s): Siddhasen Jain Gpyaliya
Publisher: Siddhasen Jain Gpyaliya

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Page 46
________________ १-नाम-व्यवहार के लिये नाम रखना. २-स्थापना-किसी एक वस्तु को दूसरी वस्तु स्थापन करना । -द्रव्य-भूत वा भविष्यत के गुणरूप कहना । मार-वर्तमान समय में जैसा हो वैसा कहना । --भावना ६-मैत्री-(सब जीवों से मित्रता रखना) २-प्रमोद ( गुणाधि कों में प्रसन्नता का भाव ) -कारुण्य ( दुःखी जीवों पर करना-वृद्धि रखना ) ४-माध्यस्थ ( पापी अविनयी जीवों में माध्यस्थ भाव रखना) -~चिकथा १- स्त्री कथा २- देश कथा ३-भोजन कथा ४-राज कथा -भावना (गृहस्थ ) धर्म १-दान २-शील ४-भावना ४-वर्ण १-प्राह्मण

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