Book Title: Jain Dharmamrut
Author(s): Siddhasen Jain Gpyaliya
Publisher: Siddhasen Jain Gpyaliya

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Page 49
________________ १--अर्जिका के गुण--- -लज्जा - विनय ३-नैराध्य ४-- शुभाचार २- दण्ड १ हा :-हा, मा ३. -हा, मा धिक् ४-१६ व धनादि --दान દ્ १०] पर्वदान ( ससार त्याग } } २ - पात्रदान (४ संघ के ३-~-समदान ( साधर्मी के ४ -- दयादान ( दुखी जीवों को ४-बंध- १ - प्रकृतिबंध ( कर्म जिस स्वभाव का लिए हुए है वह ) २- स्थितिबंध ( जितने समय तक वह कर्म आत्माके साथ रहे ! ३- अनुभागवध ( तीव्र--भंद जैसा उस कर्म का फल है वह ) - प्रदेशवरंध ( कर्मो का आत्मा के प्रदेशों से एक क्षेत्रावगाह रूप --- संबंध होना ) ४-----

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