Book Title: Jain Dharmamrut
Author(s): Siddhasen Jain Gpyaliya
Publisher: Siddhasen Jain Gpyaliya

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Page 17
________________ २ --- कुतप (खोटा ) २-सुख---- १ - सांसारिक ( इस लोक सम्बंधी ) २ -- पारमार्थिक ( आत्मिक - मोक्ष सुख ) २--कर्म- १ -- सत्कर्म ( अच्छे कर्म ) '२ --- दुष्कर्म ( बुरे कर्म ) २- शौच १ --- अंतरंग ( लाभ त्याग ) २ - बाह्य ( लौकिक शुध्धि ) २- लोक १ - इहलोक २ -- परलोक २--प्राण EGNANT ક १ --- भावप्राण ( ज्ञान दर्शन ) २- द्रव्यप्राण ( ५ इंद्रिय ३ वल १ आयु - श्वासोच्छ्वास ) २-भाव प्राण- १ - ज्ञान ( जानना ) २--दर्शन (देखना) २-मुनि

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