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३- जाप्य
१ - वाचिक ( बोलकर )
२ - उपांशु -- ( विना बोले ओठों को चलाकर ) ३ - मानस ( मन में विचार करना )
३- मूढता
१ - देव मूढता ( रागी द्वपो देवों को पूजना ) २ --- लोक मूढता ( गंगा में स्नान कर धर्म मानना आदि ) ३ --- गुरु मूढ़ता ( मिथ्यादृष्टि गुरुषों को मानना )
३- गुणवत
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१ - दिग्वत (दशों दिशाओं का आनेजाने का जन्मपर्यंत नियम) २ -- देशव्रत ( अमुक समय तक आने जाने की मर्यादा ) ३ - अनर्थ द डव्रत ( बिना प्रयोजन काय में प्रवृत्ति न करना )
३- शल्य-
१ - माया ( मायाचार )
२- मिथ्यात्व ( अश्रध्धान )
३ --- निदान ( संसार सुख की आशा )
३--उपयोग---
१ - अशुभोपयोग
२ -- शुभोपयोग ३ - शुभ्धोपयोगः---