Book Title: Jain Dharmamrut
Author(s): Siddhasen Jain Gpyaliya
Publisher: Siddhasen Jain Gpyaliya

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Page 32
________________ ३-योग २ वचन ३-पदार्थ १--हेच (छोडने लायक) २–झेच (जानने लायक) ३-उपादेव (प्रण करने लायक) ३-पल्य १-व्यवहार पल्य (४५ अंक प्रमाण.रोनों को १० वर्ष वाद एक २ चढने से जितना समय लगे) २-उद्धार पत्य ( व्यवहार फ्ल्य से अवंल्यात गुना ) ३-अधा पत्य ( उदार पत्य से असंल्यात गुना.) ३-अवस्था ९-बाल्यावस्था २-युवावस्था -वृद्धावस्या ३-अणुवृती श्रावक १-पक्षिक २-साधक

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