Book Title: Jain Dharmamrut
Author(s): Siddhasen Jain Gpyaliya
Publisher: Siddhasen Jain Gpyaliya

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Page 27
________________ ३- आत्मा १ - बहिरात्मा - ( निध्यादृष्टि जीव-जंगर को समान जानने वाला) अंतरात्मा - ( सम्यग्दृष्टि ) ३- परमात्मा - ( अरहंत - सिद्ध ) ३- अंतरात्मा १ --- उत्तम ( मुनि ) २ - मध्यम ( श्रावक ) ३ - जघन्य ( व्रतरहित सम्यग्दृष्टि ) :-सुपात्र १ - उत्तन मध्यन --जघन्य ३-- पात्र - ૨૦ · १ - सुपात्र ( मुनि आर्यका श्रावक श्राविका ! २ -- कुपात्र - ( अन्यसती मिध्यादृष्टि धरमात्मा ) ३---अपात्र -- ( सम्यक्त्व और व्रत रहित ) ३- रत्न -- १ - सम्यग्दर्शन ( सच्चा श्रध्धान ) २--- सम्यग्ज्ञान ( सच्चा ज्ञान ) ३ - सम्यग् चारित्र ( सच्चाचारित्र )

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