Book Title: Jain Dharmamrut
Author(s): Siddhasen Jain Gpyaliya
Publisher: Siddhasen Jain Gpyaliya

View full book text
Previous | Next

Page 16
________________ १-अणुप्रत ( १२ प्रकार) २-महाव्रत ( सकलचारित्र) २–गोत्र --उच्चगोत्र-( जिसम लोकमान्य उच्चकुल में पैदा हो) २-नीचगोत्र-(जिससे लोक निंध कुलं में पैदा हो) २-आसन १-सगासन २- पयासन २-कषाय १-कपाय (जो आत्मा को कषे) २-नोकषाय (किंचित् कषाय ) २-वेदनीय १-सातावेदनीय ( जिससे सुख मिले) 2-असातानेदनीय ( जिससे दुख मिले) २-उहिष्टत्यागप्रतिमा १-ऐलक (एक लंगोटी मात्र राखे) २-भुलक-(एक चादर रक्खे ) २-तप -सुतप-( अच्छा)

Loading...

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78