Book Title: Jain Dharmamrut
Author(s): Siddhasen Jain Gpyaliya
Publisher: Siddhasen Jain Gpyaliya

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Page 24
________________ २- नरकायुबंध कारण १- बहु आरंभ परिग्रह २ २- मनुष्यायु वध कारण १- अल्पार भ २- अल्प परिग्रह २- अशुभनाम बंध कारण -- १ - - योग वक्रता ( मन वचन काय की कुटिलना ) २ -- विसंवादन ( लडाई झगडा ) २- शुभनाम बंध कारण- 9 -योग सरलता २- अविसंवादन २- निवर्तना २१ २-श्री 9 १ --- मूल गुण निर्वर्तना ( ५ शरीर, मन, बचन वासोच्छवास उसन्न करना ) २ --- उत्तरगुण निर्वर्तना (निष्कपट नकशा मूर्ति तैयार करना ) २- काय --- १ --- स्थावर काय ( जिसके मात्र एक स्पर्शने द्रिय हो ) २ -- सकाय ( द्वि, त्रि. चतुर व पंच इहिय हो ।

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