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२-ट्रन्येन्द्री
१-निवृत्ति ( रचना )
२-उपकरण ( रक्षक) २-भावेन्द्री
१-लब्धि-(क्षयोपशमजन्य विशुधि )
२-उपयोग-(एकाग्रता) २-कल्पवासी- "
१-कल्पोपन-(स्वगी में उत्पन्न होने वाले स्वर्गवासी )..
२-कल्पातीत-(स्वर्ग से ऊपर के देव) २-मनुष्य
१-आर्य
२-म्लेच्छ२-आर्य--
१-ऋधिप्राप्तार्य ( ऋधि वाले)
२-अनृधिप्राप्तार्य ( ऋधि रहित) २-म्लेच्छ
१-अन्तद्वीपज ( अन्तद्वीपों में उत्पन्न होनेवाले )
२-कर्मभूमिज ( कर्मभूमि में उत्पन्न होनेवाले ) २-उपशमसम्यक्त्व
१-प्रथमोपशमसम्यक्त्व-( अनादि मिथ्यादृष्टि के ५"और सादि
के ७ अंकृतियों के उपशम से जो हो)