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१ - निश्चय ( अन्य द्रव्यों से भिन्न- आत्मा में श्रद्धान करना) २ -- व्यवहार ( जीवादिक सप्त तत्त्वों को यथार्थ श्रद्धान करना ) २-- सम्यग्दर्शन
१ - निसर्गज ( स्वभाव से होने वाला . ) २ -- अधिनमज ( परनिमित्त से होने वाला . )
२- सम्यग्ज्ञान
१ -- निधय (आत्म स्वरुप को जानना ) २ -- व्यवहार ( जीवादि तत्त्वों का ज्ञान )
२-- सम्यग्ज्ञान-
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१ - निसर्गज ( स्वयमेव ) २-अधिगमज ( निमित से)
२ -- सम्यकुचारित्र
१ - निसर्गज ( स्वयमेव ) २ -- अधिगमज (निमित्त से)
२ – सम्यक्चामित्र -
९ - निश्चय (आत्मस्वरुप में लीन होना) २ - व्यवहार ( त्रतादिक का पालन )
२- सम्यक्चारित्र -
१ --- एक देश ( अणुव्रत रूप ) २ -सकल देश ( महात्रत रुप )