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२ -- पारमार्थिक बिना किसी की सहायता के पदार्थ को स्पष्ट जाने) २- पारमार्थिक प्रत्यक्ष
१- विकल (रूपी पदार्थों को बना किसी की मदद के स्पष्ट जाने) २-सकल ( केवल ज्ञान )
२ - विकल पारमार्थिक प्रत्यक्ष
१ - अवधिज्ञान ( द्रव्य क्षेत्र काल भाव को मर्यादा लिये जा रुपी पदार्थ को स्पष्ट जाने )
२ - मन:पर्यय ( दूसरे के मनमे तिष्ठते हुए रूपी पदार्थ
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को स्पष्ट जाने )
२- लक्षण
१ - - आत्मभूत
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( वस्तु के स्वरूप में मिला हो )
२ - अनात्मभूत ( वस्तु के स्वरुप में मिला न हो )
२- मिथ्यात्व -
१ – अगृहीत ( पहिले से लगा हुवा )
२ - गृहीत ( इस भव में कुगुरु वगैरे के संबंध से होने वाला )
२- परमात्मा
१ - सकल' ( भर्हत शरीर सहित चार वांतिया कर्म नष्ट करने वाला )
२ -- निकल ( सिद्ध-शरीर रहित- - अष्ट कर्म रहित )
२- सम्यग्दर्शन-