Book Title: Himalay Digdarshan Author(s): Priyankarvijay Publisher: Samu Dalichand Jain Granthmala View full book textPage 8
________________ कञ्चित् दुनियावी यात्रा में साधु मुनिराज और गृहस्थोंको किसी प्रकारकी तकलीफ पेश न हो उसी उद्देशसे यह 'हिमालय दिग्दर्शन' नामक छोटो सी पुस्तिका प्रकाशित की जाती है। हिमालयके स्थित स्थानों को देखनेकी बहुत समय से मेरी इच्छा थी लेकिन वहां जानेसे अनेक प्रकारके कष्ट सहन करने पडते हैं और कई यात्री वहां बीमार होकर मर जाते हैं । कई वहां नहीं मरते हैं तो मकान पर आकर मरते हैं और कई मरते नहीं है तो जरूर दीर्घकाल तक बीमारीसे कष्ट भोगते हैं । इन बातों से कई दफे जानेकी तैयारी करके भी मैं मुलतव रखता था । मगर इस वक्त तो मने संपूर्ण साहस करके जानेकी फक्त दो ही रोजमें तैयारी की और अहमदाबादसे प्रयाण भी कर दिया कि जो बिहार दिग्दर्शन के दूसरे भाग सें मालूम कर सकते हैं । प्रयाणके समय मेरी वृद्धमाता का आशीर्वाद हिमालयके दुर्गम स्थानों में मंत्र समान था। इसके सिवाय मेरे मित्र नबसौराष्ट्र के तंत्री श्रीयुत ककलभाई कोठारी और श्रीयुत हरगोविंददास पंड्या, प्रेमजीभाई मीठाभाई हेड मास्टर, सोमाभाई पटेल, छगनभाई पटेल ( लांघणज ) व रतोलाल पी. शाहकी मार्ग विषयक जानकारी बहुत बहुत जरूरी थी । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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