Book Title: Himalay Digdarshan
Author(s): Priyankarvijay
Publisher: Samu Dalichand Jain Granthmala

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Page 23
________________ : १२ : हिमालय दिगदर्शन मुनि तक प्रत्येक स्थानके लिये केवल आने या जानेका एक पूरे सवारका ४५-४५ रुपया है। यदि यात्री आनेजानेके दोनों सफर जहाजमें ही करे तो उसे आने-जानेका 'फी सवारी केबल ७२) ही रुपया देना पड़ता है। जो लोग हरिद्वारसे जहाजमें बैठकर बिना उतरे आस्मान ही से केदार-बदरीका दृश्य देखकर हरिद्वार ही आकर उत्तर जायं, उनके लिये जहाजका भाड़ा १७५) नियत है । गौचर और अगस्त मुनिमें जहाज उतरनेवाले यात्रीर्यों के लिये कुली, डांडी इत्यादिका भी प्रबन्ध रहता है पर इसके लिये हवाई जहाजवालोंको एक सप्ताह पहिले निम्नलिखित पतेसे लिखना पड़ता है। "दी हिमालय एयरवेज लिमिटेड, नयी दिल्ली" यहांसे थोडी दूर कैलास-आश्रम नामक स्थान है, इस जगह शंकराचार्यजीकी गद्दी और उनकी मूर्ति है। अमिनय चन्द्रशेखर महादेवका मन्दिर हैं। कुछ ही दूर चलने पर आगे मौनीबाबाकी रेती है। यह स्थान टेहरी-गढ़पाल-राज्यमें है। टेहरी-दरबारकी ओरसे यहां प्रबन्ध है 'कि यात्रियोंका सामान तौलवाकर कुलियोंको सौंपनेके 'पहिले उनका नाम, पता-ठिकाना लिखकर एक चिट्ठी तैयार करके उसपर कुलीकी सही बनवाकर यात्रीको दी जाती है। उसी प्रकार दूसरी चिट्ठी यात्रीकी सही कराकर कुलीको मिलती है। इससे मार्गमे कुली के भागने अवता Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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