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हिमालय दिग्दर्शन
(१८) हनुमान चट्टी-यहां बाबा काली कमली वालेकी धर्मशाला और सदाव्रत है । यहां आवश्यक चीजें मिलती हैं । यह शीत प्रधान स्थान है । यहांसे आगे १ माईल पर १॥ माईलकी कड़ी चढ़ाई तय करनेके बाद देवदेवणीका स्थान आता है । उस स्थानसे.बद्रीनाथ तक उतार ही उतार है और बद्रीपुरीका दृश्य दिखाई देता है ।
(१९) बद्रीनाथ-यह पुरी मन्दराचल पर्वतपर अलकनन्दाके दाहिने किनारे पर अवस्थित है 1 बस्ती ३०० घरोंकी है। मकान अधिकांश दो मंजिले हैं, दीवार पत्थरके ईटोसे जोड़ी गई है और छाजन पत्थर तथा टीनकी है, कोईकोई घर फूससे भी छया हुआ है । दुकानें भी अनेक हैं। सब आवश्यक सामग्री मिलती हैं परन्तु बहुत महंगी । दहीदूध तो ॥१) सेर बिकता है । अन्नक्षेत्र और धर्मशालाएं कई एक हैं । बाबा कालीकमलीवालेकी धर्मशाला और सदाब्रत है। प्रतिदिन नये-नये धर्मात्मा यात्री क्षुधिनोंको भोजन कराते हैं । इस देव-नगरीमें आठों पहर चहल-पहल और बदरीनाथकी जय-जयकारकी ध्वनि गूंजती रहती है ।
श्री बदरीनाथका मन्दिर बस्तीके उत्तरीय भागमें अवस्थित लगभग ४५ फीट ऊंचा है। उपरका कलश और उसके ढाईतीन हाथ चारों ओर गोलाई स्वर्णपत्रसे विभूषित है। सदर द्वार पूर्व दिशामें है। सात-आठसीढ़ियोंसे चढ़कर ऊपर जाने पर मन्दिरका प्रथम विशाल
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