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बद्री
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जाती है। इस मन्दिर के पास नृसिंहधारा और दण्डधारामें यात्री स्नान करते है । समीपमें नृसिंह मन्दिर है, उसमें एक ही सिंहासनपर बीच में नृसिंह बायं उग्र नृसिंह और दाहिने श्रीराम-लक्ष्मण जानकोजी और बद्रीनाथकी मूर्तियां हैं । यहां गुलाबके फूल अधिक होते हैं, वह देखने में बडे सुहावने होते हैं। जोशीमठ कस्बा है। बहुतसे-से दो मंजिले पक्के मकान हैं । बाजारमें सब सामान मिलता है । अस्पताल, डाकखाना, तारघर और पुलिस स्टेशन है । बाबा काली कमलीवालेकी धर्मशाला और सदाव्रत है । यहांसे दों मीलकी कड़ी चक्करदार उतराईके बाद विष्णुप्रयाग आता है, वहां अलकनन्दा और विष्णुगंगाका संगम है। संगम पर यात्री स्नान करते है । विष्णुप्रयागसे पाण्डुकेश्वर तकका मार्ग कहों चढ़ाव कहीं उतार और सीधा इस तरह चला गया है।
(१७) पाण्डुकेश्वर-यहां योग बदरी और वासुदेवका मन्दिरहै,मन्दिरके बाहर दीवारमें लगा हुआ ताम्रपत्र पर स्पष्ट अक्षरोंमें एक लम्बा लेख है, परन्तु वे न जाने किस भाषाके अक्षर है, किसीसे पढे नहीं जाते। यहां बाबा कालीकमली. वालेकी धर्मशाला और सदाव्रत है । यहांसे ३ माइलपर लामबगड़ चट्टी आती है, बीचमें | मीलकी चढाईके बाद लामबगड़ तक उतार ही उतार है । लामबगड़में अलकनन्दाके किनारे बाबा काली कमलीवालेकी धर्मशाला और सदाव्रत है। धर्मशालासे आगे हनुमान चट्टी तक उतारका रास्ता है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com