Book Title: Himalay Digdarshan
Author(s): Priyankarvijay
Publisher: Samu Dalichand Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 76
________________ क्षेत्रपालके नामसे विख्यात हैं तथा यह क्षेत्रपाल जैनोमें ही हुए हैं। यहां पर देखनेसे ज्ञात हुआ कि प्रतिमा पर जितना अत्याचार जगन्नाथपुरीमें हो रहा है उतना यहां पर नहीं, क्योंकि दद्रीके यात्री असली प्रतिमाके दर्शन करते हैं परन्तु जगन्नाथपुरीमें असली प्रतिमाके दर्शन न कर लकड़ीके खोखेके दर्शन करते हैं । इसका कारण यह है कि अन्दरकी नो वास्तविक प्रतिमा है उस पर खोखे मढ़े हुए हैं। किसी भी प्रकारसे यात्री अनेक प्रयत्न करने पर भी खोखेकी अन्दर रखी हुई प्रतिमाका दर्शन नहीं करने पाता, क्योंकि खोखा बारह वर्ष बाद परिवर्तन किया जाता है। तथा उस समय भी मन्दिरको चारों ओरसे बन्द कर दिया जाता.. और भीतर राजा, पुरोहित तथा सुथार यह तीन ही व्यक्ति रहते है। मंदिर बंद करने का कारण यह बतलाया जाता है कि खोखेके पीछे ( अन्दर ) कोई ऐसी शक्ति है कि जिसके अन्य कोई दर्शन या स्पर्श करे तो उसकी मृत्यु हो जाती है। प्रतः कोई भी नहीं दर्शन करने पाता । अब यदि इसपर विचार करके देखा जाय तो ज्ञात होगा कि क्या परमात्माकी प्रतिमाका दर्शन या स्पर्श करनेसे मृत्यु हो जाती है ? यह बात कभी भी किसी हासतमें माननेमें नहीं श्रा सकती तो फिर ऐसा क्यों? यदि खोखेके भीतर कुछ भी नहीं तो फिर मंदिर बन्द करनेका क्या कारण ? और यदि Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86