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हरिद्वार
१४ १५
, "
नाई मोहन धर्मशाला
लक्ष्मण झूला ११ .. शाम
ऋषिकेश
, १६ सुबह
सत्यनारायण
हरिद्वार नोध नं०
(१) चमोली (लालसांगा) बद्रीनायसे पुनः इसी रास्ते वापिस लौटना होता है। यहांसे नंदप्रयाग तक रास्ता सोधा है।
चमोलीसे केदार माईल ६२
, बद्रो , ४८
, हरिद्वार .. १३७ सड़क हैं। (२) नंदप्रयाग-यह अलकनंदा और मन्दाकिनी के संगमपर बसा हुआ है। संगमस्थानपर यात्री स्नान करते हैं। यहां नन्द और गोपालजी का मन्दिर है। यहां की बस्ती बड़ी है। यहां बाबा कालो कमलीवालेका सदाव्रत है। यहां डाकखाना और टेलीफोन है। यहांसे आगे रास्ता घुमाव
और चढ़ाव-उतारका है। यहांसे १२१ माईल पर कर्णप्रयागके करी। कर्णगंगा या पिण्डर गंगा और अलकनन्दाका संगम बस्ती और अलकनन्दाके पुलसे दो फलोग पहले पड़ता है इसलिये यात्रीगण प्रायः संगम पर स्नान कर बस्तीमें जाते हैं। संगमपर उमा देवीका एक छोटा-सा मन्दिर है। पिण्डर नदीको लोहेके झूलेसे पार करके थोड़ी चढ़ाईका रास्ता चढ़ने के बाद चट्टीमें जाना होता है।
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