________________ शवि मूर्तिपूजा आत्म कल्य मानना बहुत आवः निर्माण भी हुआ है मूर्तिपूजा मोक्षका स ElcPbI HIRTE से सज्जित कर उनके वीतरागत्व को नष्ट कर रहे हैं / उचित तो यह होता कि हम ऐसी मूर्तिपूजा करे जो हमारे दिल में वीतरागत्व का उदय करे और दुनिया के लिये आदर्श हो। -प्रियंकरविजय Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat આનદ સભાવનગર. www.umaragyanbhandar.com