Book Title: Himalay Digdarshan
Author(s): Priyankarvijay
Publisher: Samu Dalichand Jain Granthmala

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Page 79
________________ : ६६: हिमालय दिग्दर्शन इससे साबित होता है कि यह तीर्थ सर्व प्रकारसे जैन होनेका दावा रखता है। जैन समाजको चाहिये कि यदि वह कुछ नहीं कर सकता है तो एक छोटा सा मंदिर ही बना दे, क्योंकि उस मंदिरके द्वारा जैन धर्मका प्रचार होगा, और उसके द्वारा धीरे २ सर्वत्र जैन धर्मकी ध्वजा फहरा सकती है। क्या जैन समाज अष्टापद की तलहटी स्वरूप तीर्थको ओर नजर नहीं डालेगा? विहार किया संवत् १९९५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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