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हिमालय दिगदर्शन व्यासजीने महाभारतका वर्णन किया और गणेशजीने लिया था। अष्टादश पुराणोंका निर्माण भी इसी स्थानमें हुआ था। माणागांवमें गन्धर्वजातिके ब्राह्मण निवास करते हैं। थोड़ी दूरपर राजा मुचुकुन्दकी गुफा है, यहांसे तिब्बत, मानसरोवर और कैलास जानेका मार्ग है। बद्रीनाथके यात्रियोंको जोशीमठसे मानसरोवर और कैलास जानेका रास्ता अधिक सुभीतेका है। इसके आगे दो मील पथरीला मार्ग कड़ी चढ़ाईके अन्तर लोग–'वसुधारा'-के समीप पहुंचते हैं। लगभग सौ गजकी ऊंचाईसे दो धाराएं गिरती है और वायुके झोंकेसे पानी कुहरेके कोंकी भाँति उड़ता रहता है। बर्फकी राशिके कारण ठण्डक शरीरको कंपाती है। वसुधाराके हिमवत् जलमें स्नान करना कठिन है। प्रायः लोग दूरसे छींटा लेते हैं। बसुधारासे तीन मीलपर सहस्रधारा है उससे आगे तीन मील पर-चक्रतीर्थ' है। वसुधारासे अलकापुरीका पहाड़ धुएंके समान दिखाई देता है।
बद्रीनाथकी पुरीके चारों ओर दूरतक मैदान है । बीच में अलकनन्दा गंगाबस्तीको दोभागोंमें विभक्त करती है।कुछ अन्तरपर दोनों और जय-विजय और नारायण नामके अत्यन्त ऊंचे हिमाच्छादित पर्वत है। बस्तीमें आजकल न तो अधिक ठण्डी ही सताती है और न गरमी मालूम होती है। दोप. हरमें खुले शरीर लोग चल-फिर सकते है और धाम
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