Book Title: Himalay Digdarshan
Author(s): Priyankarvijay
Publisher: Samu Dalichand Jain Granthmala

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Page 63
________________ : ५२ : हिमालय दिगदर्शन पीनेकी भी सभी आवश्यक चीजें मिलती हैं। यहां डाकखाना है। यहांसे गरुडगंगा तकका मार्ग सीधा गया है। [१३] गरुड़ गंगा-यहां गरुड गंगा पहाडकी उंचाई से नीचे गिरती हैं। गरुड गंगाके दोनों किनारे बस्ती है। गरुड मन्दिरके पास गरुड गंगामें यात्री स्नान करते हैं और इनके छोटे र पत्थर यात्री अपने स्थान ले जाते है। कहते है कि जिस घरमें यह पत्थर रहता है वहां सर्पभय नहीं होता और इसको पानीके साथ घिसकर दंश स्थानपर लगाने तथा पिलानेसे सांपका जहर दूर होता हैं, मगर ये बात अनुभवमें गलत साबित हुई हैं। यहां बाबा काली कमलीवालेकी धर्मशाला और सदाव्रत हैं। यहांसे साधारण चढाइके बाद जोशीमठ तक मार्ग सीधा चला गया है। बीचमे पातालगंगाके करीब रास्ता उतारका और अच्छा नहीं हैं। [१४] पातालगंगा-यह चद्री अच्छी है। यहांसे साधारण चढाइके बाद रास्ता सीधा गुलाबकोटी तक चला गया हैं। गुलाबकोटीसे भी आगे साधारण चढाइके अन्तमें जोशीमठ तक ठीक सीधा रास्ता चला गया है। [१५] हेलङ्ग [ कुम्हार चट्टी यह चट्टी बड़ी है। यहां बाबा कालीकमलीवालेकी धर्मशाला और सदावत है। [१६] जोशीमठ यहां नर-नारायणका मन्दिर है । शीतकालमें बद्रीनाथकी चलमूर्ति इसी स्थान लाकर पूजी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com .

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