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गंगोत्री
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(११) धराली-यहां बाबा, कालो कमलीगलेकी धर्मशाला और सदाव्रत है। यहां मात्मकल्याणके लिये कई साधु-संन्यासी पहाड़ोंमें रहते है । यहांसे जांगलाचट्टी ४ मील है, वहां तक मार्ग सीधा है, मगर वहाँसे १ फागकी कड़ी चढ़ाई तय करनेके बाद १॥ मीलका सीधा रास्ता पार करके १ मीलकी बहुत कड़ी चढ़ाईका अनुभव होगा। आजके मार्गका प्राकृतिक दृश्य हृदयको आइलाद उपजाये बिना न रहेगा।
(१२) मेरोंघाटी-यहां भेरुंजीका छोटा मन्दिर है। यहां बाबा कालोकमली वालेकी धर्मशाला और सदावत है। यहांसे रास्ता कही चढ़ाव, कहीं उत्तार और कहीं सम गंगाजीके किनारे २ होकर गया है।
___ (१३) गंगोत्री यह हिन्दू-धर्मका परम पवित्र और प्राचीन तीर्थ है । यहां गंगा किनारे गंगानीका मन्दिर है। । मन्दिरमें सुवर्णरचित गंगाजीको चल मूर्ति है । समीपमें यमुना, सरस्वती, भगीरथ और शंकराचार्यकी मूर्तियां है। यात्रीगण मूर्ति स्पर्श नहीं कर सकते हैं, दूरसे ही भाव पूजा करते हैं। यहां छत अछूत सबके साथ एक ही प्रकारका व्यवहार होता है जैसा कि जगन्नाथपुरीमें है। यहां सरदी बहुत अधिक रहती है। यहां भोजपत्रके वृक्ष अधिक होते है। यहां अनेक धर्मशालाएं है जिसमें बाबा काली कमली. चालेकी तरफसे ठंडसे बचनेके लिये उधार कम्बल दी जाती है कि जो जाते समय यापिस करनी होती है। यहां आत्मShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com