Book Title: Himalay Digdarshan
Author(s): Priyankarvijay
Publisher: Samu Dalichand Jain Granthmala

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Page 50
________________ दर्शन नहीं होते हैं, न मालूम क्यों छुपी रखते हैं सो मालूम नहीं हुआ। यहां सरस्वती कुण्डमें सर्प रहते हैं वे किसीको काटते नहीं हैं और इनका दर्शन शुभ समझा जाता है। यहां एक हवन कुण्डमें निरन्तर धुंआं निकालते हुए आग रखी जाती है, इस संबंध किंवदन्ती है कि गिरिराज हिमालयने अपनी पुत्री पार्वतीका शंकरके साथ यहां विवाह किया था, इसी समय से आजतक इस हवन कुण्डसे धुश्रां निकलना बंद नहीं हुआ क्योंकि हमेशां लकड़ी डाली जाती है। यहांके पण्डे लोग यात्रियोंको परेशानी पहुंचानेवाले हैं। यहां बाबा काली कमलीपालेकी धर्मशाला और सदाव्रत है । यहांकी वस्ती बड़ी है। यहांसे आगे सोम द्वारा ( सोमप्रयाग तक ) ३ तीन मीलका उतार ही उतारका गस्ता है । मार्ग बीच में शाकम्बरीः देवीके मन्दिरसे बाएं हाथवाला गस्ता केदारको जाता है। सोमद्वारामें एक दुकान है। वहांसे केदारनाथ तक साधारण चढ़ाव ही चढ़ावका रास्ता है। पता-C/० पोष्ट मास्टर साहेब मु० त्रिजुगी नारायण (यु० पी० उत्तराखंड) (१४) गौरीकुण्ड–यहां पावतीजीका मन्दिर और गारीकुन्ड है। यहां एक गरम कुण्डमें यात्री स्नान करते है। यहां बाबा काली कमलीवालेकी धर्मशाला और सदावत है। यहां शिलाजीतके व्यापारी अधिक है। यहांकी बस्ती बड़ी है। केदारनाथसे पुनः इसी रास्ते वापिस लौटकर बद्री जानेका Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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