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Yashovljay Jain Granihmatele: [४] ऊखीमठ-यहां पंचमुखी केदारका मन्दिर है। विस्तृत और ऊंचा है, शिखरपर स्वर्णपत्रसे मण्डित कलश है। यहां केदारनाथके पुजारी रावलजीकी गद्दी हैं । सामने ओङ्कारेश्वर महादेव हैं। सम्मुख पीतलकी छोटी-सी नन्दीकी मूर्ति है । बगलमें पत्थरकी गणेशकी मूर्ति है, इनके सिवाय और भी अनेक देवी देवताओंकी मूर्तियें है। धर्मशाला दो मंजिली और विशाल है । यहांके पुजारी पण्डोंकी निन्दनीय लीला कहने योग्य नहीं है। यहां बाबा कालीकमलीवालेकी धर्मशाला और सदाव्रत है। यहांको बस्ती बड़ी है । बाजारमे सभी आवश्यक चीजें मिलती है। यहां अस्पताल, डाकघर और पुलिस स्टेशन है। यहांसे २॥ मील चढाई उत्तराईका रास्ता पार करनेपर गणेशचट्टी आती है और आगे दो मीलपर दुर्गाचट्टी और इससे आगे ३ मीलकी चढाई चढकर पोथीवासा चट्टी आती है। स्थान अच्छा है । पोथीवासासे आगे कहीं चढाव कहीं उतार और फिर चढाई के बाद बनियाकुण्ड चट्टी आती है। मार्गमें जंगल अच्छा पड़ता है।
[५] बनियाकुण्ड-यहां बाबा कालीकमलीवालेकी धर्मशाला और सदाबत है। यहां शीत अधिक रहती है। यहांसे आगे चोपता चट्टी ३ मील है। वहांसे एक सड़क मामूली उतारकी साथ ३ मील भीमचट्टीको गई है और दूसरी ३ मील की कड़ी चढाई में तुङ्गनाथको गई है। कितने ही यात्री इन कड़ी चढाईसे डरकर तुङ्गनाथ न जाकर
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