Book Title: Himalay Digdarshan
Author(s): Priyankarvijay
Publisher: Samu Dalichand Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 48
________________ केदार : ३७ लिगकी अनगढ़ता भङ्ग को गयी है । यहां बाबाका लोकमलोचालेकी धर्मशाला और सदाव्रत है। यहां धर्मगंगा बालगंगाके संगम पर यात्री स्नान करते हैं । यहां डाकघर और तारघर की बड़ी आवश्यकता मालूम होती है। यहांसे भैरवचट्टी तक साधारण कड़ी चढाईका मार्ग हैं । यात्रीको चाहिए कि सुबह जल्दीसे मार्ग तय करे । (७) भैरवचट्टी —यहांका स्थान अच्छा है। यहां भैरव च हनुमानजीका छोटा सा मन्दिर है। यहांसे भोटचट्टीका मार्ग सीधा है । (८) भोटचट्टी — यहां जलका आराम है। यहांसे कुछ चढाईके बाद मार्ग सीधा करीब ५ मील तक है और बादमें १॥ मीलकी कड़ी उतराईके बाद मार्ग धुचू तक सीधा मिलेगा। (९) घुतू - यहां बाबा कालीकमलीवालेकी धर्मशाला और सदावत है। यहां भृगुगंगाके किनारे रुगनाथजीका मन्दिर है | यहांसे आगे १॥ मील गोपालचट्टी है, मार्ग साधारण ठीक हैं, इससे आगे १॥ मोलकी चढाई है और बादमें साधारण चढाईबाला ३ मीलका मार्ग तय करने पर दुफन्दा चट्टी मिलती है । इस मार्ग में मक्खियोंका उपद्रव अधिक रहता है। इस मार्ग में जंगल अधिक पड़ता है। बारिश भी अधिक होती हैं, इसलिये चढ़ाई और उतारमें पैर फिसलता हैं । (१०) दुफन्दा - यह साधारण बट्टो होनेसे ठहरनेका सुभोता नहीं है इसलिये यात्रियोंको चाहिये कि पवाली पहुंच Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86