Book Title: Himalay Digdarshan
Author(s): Priyankarvijay
Publisher: Samu Dalichand Jain Granthmala

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Page 53
________________ : ४२ : हिमालय दिगदर्शन महंगी मिलती है । रसोई बनानेके मंझटसे बचनेके लिये प्रायः लोग हलबाईकी दूकानसे पूड़ी लेकर काम चलाते है । अत्यन्त शीतके कारण यात्रियोंको विशेष कष्ट होता है, इसीसे अधिकांश दर्शनार्थी दर्शन-पूजन करके उसी दिन रामबाड़ा चट्टी अथवा गौरीकुण्ड लौट जाते है, रात्रिमें निवास नहीं करते, क्योंकि दो प्रहर दिन में शरीर से वस्त्र हटाना कठिन है, रात में बर्फका तूफान साहस ढीला कर देता है । I इस पुन्यधाममें कई एक धर्मात्माओं की छोटी-बड़ी धर्मशालाएं और अन्नसत्र है । बाबा कालीकमलीवाले, होलकर सरकार और सेठ झुनझुनवालेकी धर्मशाला और सदाव्रत है । धर्मार्थ प्रायुर्वेदीय औषधालय भी है । उसमें बिना मूल्य रोगियोंको औषधियां मिलती है। यहां डाकखाना है । कहा जाता है कि यह स्थान समुद्रतटसे १९५८० फीट ऊंचा है। यहां ठीक रास्ते में विराजित एक सिद्धासन में प्रतिमा है । जिसका अब तक निर्णय ये न हो सका कि बौद्ध है या जैन | यहांसे सोमवार तक पुनः वापिस लौटना चाहिए । यहां कैलास-अष्टापदकी तलहटी स्वरूप पहिले जैन मन्दिर था । मगर शंकराचार्यने उसे नष्ट कर दिया । पता - पोस्ट मास्टर साहेब मु० केदारनाथ ( यू० पी० उत्तराखण्ड ) विहार किया संवत् १९९५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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