Book Title: Himalay Digdarshan
Author(s): Priyankarvijay
Publisher: Samu Dalichand Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 51
________________ हिमालय दिग्दर्शन हैं, इसलिये यात्रियों को चाहिए कि अपना अधिक बोझा यहांके दुकानदारोंके यहां रख दें । : ४० : (१५) रामवाड़ा - यहां बर्फ हमेशा जमी रहती है । यहां बाबा काली कमलीवालेको धर्मशाला और सदावत है । यहांका स्थान अच्छा है । (१६) श्री केदारनाथ - केदारनाथ - यह हिन्दु धर्मका तीर्थस्थान है । यहां केदारनाथका मन्दिर है । श्रीकेदारनाथकी मूर्ति नहीं और न लिङ्गका ही स्वरूप है । डेढ़ हाथ चौड़ा, चार हाथ लम्बा और दो हाथ ऊंचा पत्थरका एक टीला है । ऐसी किंवदन्ती सुननेमें आती है कि शिवजी भैंसेका रूप धारण करके इस पर्वतपर विचर रहे थे । भीमसेनने उनको जङ्गली भैंसा अनुमान खदेड़कर गदाप्रहार किया जिससे अगला धड़ पर्वत में घुस गया और पिछला वहीं पत्थर हो गया । अगला धड़ नेपालमें प्रकट होकर पशुपतिनाथके नामसे प्रसिद्ध हुआ और पिछला श्रीकेदारनाथजी है । यात्रीगण खड़े होकर अपने हाथसे केदारनाथ जीको स्नान कराकर पत्र - पुष्प - फूलादि भेट कर वृतका प्रलेप करके अड्डूमालिका करते हैं । मन्दिर में अंधेरा रहनेके कारण सदा घतका अखण्ड दीपक जलता है । ऊपर चांदीका छत्र टंगा है और भारके पंचमुखी केदारका दर्शन होता है । सभामण्डपमें पत्थरके नम्दीकी मूर्ति है। दरवाजेपर द्वारपालोंकी प्रतिमाएं है। मन्दिरकी दीवार में हर पांचों पाण्डव Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86