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हिमालय दिग्दर्शन
हैं, इसलिये यात्रियों को चाहिए कि अपना अधिक बोझा यहांके दुकानदारोंके यहां रख दें ।
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(१५) रामवाड़ा - यहां बर्फ हमेशा जमी रहती है । यहां बाबा काली कमलीवालेको धर्मशाला और सदावत है । यहांका स्थान अच्छा है ।
(१६) श्री केदारनाथ - केदारनाथ - यह हिन्दु धर्मका तीर्थस्थान है । यहां केदारनाथका मन्दिर है । श्रीकेदारनाथकी मूर्ति नहीं और न लिङ्गका ही स्वरूप है । डेढ़ हाथ चौड़ा, चार हाथ लम्बा और दो हाथ ऊंचा पत्थरका एक टीला है । ऐसी किंवदन्ती सुननेमें आती है कि शिवजी भैंसेका रूप धारण करके इस पर्वतपर विचर रहे थे । भीमसेनने उनको जङ्गली भैंसा अनुमान खदेड़कर गदाप्रहार किया जिससे अगला धड़ पर्वत में घुस गया और पिछला वहीं पत्थर हो गया । अगला धड़ नेपालमें प्रकट होकर पशुपतिनाथके नामसे प्रसिद्ध हुआ और पिछला श्रीकेदारनाथजी है । यात्रीगण खड़े होकर अपने हाथसे केदारनाथ जीको स्नान कराकर पत्र - पुष्प - फूलादि भेट कर वृतका प्रलेप करके अड्डूमालिका करते हैं । मन्दिर में अंधेरा रहनेके कारण सदा घतका अखण्ड दीपक जलता है । ऊपर चांदीका छत्र टंगा है और भारके पंचमुखी केदारका दर्शन होता है ।
सभामण्डपमें पत्थरके नम्दीकी मूर्ति है। दरवाजेपर द्वारपालोंकी प्रतिमाएं है। मन्दिरकी दीवार में हर पांचों पाण्डव
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