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केदार
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कुन्ती, द्रौपदी, पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती आदि देवी-देवताओंकी प्रतिमाएं हैं । परिक्रमा में अमृतकुण्ड, ईशानकुण्ड, हंसकुण्ड, रेतसकुण्ड और उदककुण्ड हैं । अमृतकुण्ड में अलके भीतर दो शिवलिङ्ग हैं | इस कुण्ड में पारदको खाम होनेकी सम्भावना की जाती हैं, क्योंकि जब कुण्डका जल निकाल कर उसकी सफाई की जाती हैं तब थोडा बहुत इसमें पारा निकलता हैं ।
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यहां मन्दाकिनी गङ्गा और सरस्वतीका संगम हैं, दूधगङ्गा और स्वर्गद्वारीनदीका संगम कुछ उपर हैं। पहले संगम स्नान करके पीछे दर्शनार्थी लोग मन्दिरमें आते हैं । मन्दाकिनो और सरस्वती के सङ्गमपर संगमेश्वर महादेवका मन्दिर हैं, पासमें एक गंगाजी की मूर्ति हैं । कुछ ऊपर जानेसे अन्नपूर्णा और नवदुर्गा की मूर्तियों के दर्शन होते हैं । यहां एक अत्यन्त नीचा मेरवकांप - नामक खोह हैं । पहले लोग कैलासवासकी कामनासे उसमें कूदकर प्राण विसर्जन ( श्रात्महत्या ) करते थे । ब्रिटिश गवर्नमेण्टने सन् १९२६ ई० से इस प्रथाको बन्द कर दिया है, फिर भी लुक-छिपकर कभी-कभी ऐसी घटनाएं हो जाती है। केदारनाथको बस्ती २०० घरोंकी है, अधिकांश मकान दोमंजिले, पक्के प्रौर सुन्दर हैं। बस्तीके चारों भोर लंबा मैदान एवं बर्फ से ढंकी पर्वतमालाएं शोभा दे रही हैं। यहांके बाजारमें पंसारी, बजाज और हलवाई आदिको दूकानें हैं । सब आबsus सामग्रियां मिलती हैं किन्तु महंगी हैं । लकड़ी अधिक
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