Book Title: Himalay Digdarshan
Author(s): Priyankarvijay
Publisher: Samu Dalichand Jain Granthmala

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Page 47
________________ : ३६ : हिमालय दिग्दर्शन नोंध नं० (१) मल्लाचट्टी यहां से भागीरथी और रुद्र गंगाका पुल पारकर मार्ग ३ मील बीच में कहीं २ बढाईबाला सौराकी गाड़ तक चला गया है । सौराकी गाड़से कुछ आगे जानेके बाद ३ मीलकी चढ़ाई आती है । - (२) फ्यालूचट्टी — यहांसे आगे १ मीलकी बढ़ाईके बाद हूणाचट्टी तक मार्ग सीधा चला गया है । बीचमें जंगल अच्छा पड़ता है । (३) छूणाचट्टी -यहां पंजाब - सिंध क्षेत्रकी धर्मशाला और सदाव्रत है । यहांसे ४ मीलकी बेलक चट्टी तक कड़ी चढ़ाई है और बाद में पंगराणा तक उतार ही उतार है। (४) पंगराणा - यहांसे आगे ०||| मीलकी चढ़ाईके बाद आगे कुछ सीधा रास्ता चलकर फिर झाला चट्टी तक तार ही उतार है । (५) झालाचट्टी - यह चट्टी अच्छी है। यहां दूध दही अच्छा मिलता है । यहांसे बूढा केदारनाथ तक मार्ग सीधा जैसा है। (६) बूढ़ाकेदार - यह हिन्दु धर्मका तीर्थस्थान है । बूढ़े केदारनाथका मन्दिर है, उसमें बहुत बड़ा बिना गढ़ा शिवलिङ्ग है । लिङ्गके नीचे बूढ़ेकेदार, शिव-पारवती, गणेश, नन्दी लक्ष्मीनारायण, दुर्गा और पांचों पांडवोंको सूतियां बनाकर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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