Book Title: Himalay Digdarshan
Author(s): Priyankarvijay
Publisher: Samu Dalichand Jain Granthmala

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Page 39
________________ :२८ : हिमालय दिगदर्शन मार्ग ठीक है, मगर बादमें सुक्खी चट्टी और इससे आगे १ -मील तक चढ़ाईवाला रास्ता है । (८) सुक्खी चट्टी-यहां बाबा काली कमलीवालेकी धर्मशाला और सदावत है । स्थान अच्छा है । यहांसे आगे १ मीलकी चढ़ाई है और आगे दो मीलका उतार व सीधा रास्ता है। यहां एक पक्का कुण्ड है। उसे सूर्यकुण्ड कहते हैं। (९) झाला चट्टी-यहां बाबा काली कमलीचालेकी 'धर्मशाला और पंजाबसिंध क्षेत्रको सदावत है। यहांसे कुछ आगे जानेपर समभूमिमें श्यामगंगा और भागीरथीका संगम प्राता है, इन संगमस्थानसे गंगोत्रीके बरफवेष्टित पहाड़ दिखाई देते हैं जिनके देखनेसे मन प्रसन्न होता है। और इधरके पहाड़के शिखर भी बर्फवेष्टित होनेसे सुन्दर मालूम (१०) हसिल (हरिप्रयाग) यहां लक्ष्मीनारायण मंदिर व धर्मशाला है। धर्मशालामें एक भूतिया माई भूने हुए चनेका सदावत देती है। यहां काली चमरी गायें हैं। यहां तिब्बतके लोग नेलंगघाटा होकर भारतके साथ व्यापार करने को रहते हैं। वे लोग ऊनी वस्त्र कौटु, थूल्मा, वन, पश्मीना आदि बेचते हैं। यहांसे धराली और धरालीसे भागे ४ मोड तक सीधा रास्ता चला गया है। यहां टिहरी नरेशका सेवका बगीचा है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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