Book Title: Himalay Digdarshan
Author(s): Priyankarvijay
Publisher: Samu Dalichand Jain Granthmala

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Page 37
________________ :,२६ : हिमालय दिग्दर्शन तक बड़ी तकलीफ रहती है। यहांसे ३॥ मील आगे जानेपर करीब दो मील कड़ी चढ़ाईका अनुभव करना पड़ता है, इस बीच घना जंगल पड़ता है, चढ़ाई के बाद “सिंगोट चट्टी" तक उतार हैं । बीचमें पानीका प्रभाव रहता है। (२) सिंगोट चट्टी-यहां बाबा काली कमलीवालेकी धर्मशाला और पंजाब-सिंध क्षेत्रका सदाव्रत है। यहांसे २॥ मील नाकोरी चट्टी तक उतार व पथरीला रास्ता है। घरायमें छोड़ी हुई उत्तरकाशीवाली सड़क नाकोरी चट्टीसे आ मिलती है । नाकोरीसे उत्तर काशीका रास्ता एकदम सीधा गंगा किनारे २ चला गया है। (३) उत्तर काशी-यह गंगा किनारे बसा हुआ है। यहां विश्वनाथजीका मन्दिर पुराना है। जयपुरकी राजमाताका बनवाया हुआ मन्दिर दर्शनीय हैं। यहां धर्मशाशाए अनेक है, उसमें बाबा कालीकमलीवालेकी मुख्य हैं। बाबा काली कमलीवालेका यहां सदावत, क्षेत्र और औषधालय भी है। यहांकी वस्ती बड़ी है, डाकखाना, अस्पताल और पुलिस स्टेशन है। यहां मणिकर्णिका घाट है। यह स्थान तीर्थस्वरूप माना जाता है। यहांसे आगे केदारनायके अतिरिक्त कहीं डाकघर न मिलेगा। यहांसे आगे १॥ मील पर नागाणी चट्टी है, इसके पास असीगंगा और भागीरथीका संगम है। पत्ता-पोष्ट मास्टर साहेब मु. उत्तरकाशी ( यू० पी० उत्तराखण्ड) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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