Book Title: Himalay Digdarshan
Author(s): Priyankarvijay
Publisher: Samu Dalichand Jain Granthmala

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Page 28
________________ नमुनोत्री रास्तेमें मोलकी दूरी पर है। यहांसे भागे १ माइल पर साखी गोपालका मन्दिर और बगीचा है, स्थान रमणीय है। (१०) देवप्रयाग-यह पहाइपर बसा हुआ रमणीक कस्बा है। बस्ती अलकनन्दा गंगाके दोनों किनारेपर ब्रिटिश और टिहरीकी हदमें बसी हुई है। यहां का बाजार बड़ा और अच्छा है। यहांपर डाकखाना, तारघर और पुलिस स्टेशन है। यहां बाबा कालीकमलीवालेकी धर्मशाला और सदाव्रत है। यहां पानीकी बहुत मुसीबत रहती है, क्योंकि नल में पानी बहुत कम आता है और नदीका पानी लानेमें नदीकी अधिक गहराई की वजहसे मुश्किल होता है। यहां पण्डोंके करीब ४०० घर है और ये बहुत सफाई से रहेनेवाले होते है-मानो व्यभिचारका प्रथम स्थान । यहां अलकनन्दा और भागीरथी का संगम होनेसे यात्री लोग स्नान करते है। यमुनोत्री, गंगोत्री होकरके केदार और बद्री जानेवाले यात्रियोंके लिये मागीरथी गंगाका पुलको पार करके टिहरी रियासतमें होकर रास्ता जाता हैं। यहांसे खसाडा चट्टी जाते समय मागे कुछ कठिन है, बीचमें ५ मील पर धौलार घाटका मरना और मागे १ मीलपर बिडकोट है, मगर वहां ठहरने योन्य स्थान नहीं है। इसलिये यात्रिओंको चाहिए कि वे इन स्थानों में कुछ मारामकर "खर्साडा" चट्टी पहुच जाय । पत्ता-पोस्ट मास्टर साहेब मु० देवप्रयाग (५० पी० उत्तराखण्ड) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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