Book Title: Himalay Digdarshan
Author(s): Priyankarvijay
Publisher: Samu Dalichand Jain Granthmala

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Page 32
________________ यमुनोत्री कपडेमें पोटली बनाकर कोई तरकारी, चापल थोड़ी देरतक डुबो रखने से पक जाता है। प्रायः यात्री ऐसा ही करते है। यमुनोत्री शीतप्रधान स्थान है। यहां अमुनाजीका एक छोटा मन्दिर है। यहां बाबा काली कमलीवालेकी धर्मशाला और सहावत है । यहां एक गुफा है और अग्निकुंड, गौरीकुण्ड, सूर्यकुण्ड तथा दो अन्य कुण्ड हैं । यहां अधिक शीत होने की वजहसे बहुतसे यात्री ठंडा पानीसे स्नान न करते हुए गरम पानोके कुण्डमें स्नान करते हैं। यहां गेहु भादोंमें बोया जाता है और बारहवें महीने श्रावणमे कटता है। यहांपर पहाड़ बरफवेष्टित होनेसे प्राकृतिक दृश्य सुन्दर दिखाई देता है । यह स्थान समुद्रको सतहसे १०,००० फीटकी ऊंचाई पर है। यहांसे गंगोत्री जाने वास्ते पुन: गंगनानी वापिस लौटना चाहिये। विहार किया संवत् १९९५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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