Book Title: Himalay Digdarshan
Author(s): Priyankarvijay
Publisher: Samu Dalichand Jain Granthmala

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Page 31
________________ :२०: हिमालय दिग्दर्शन यहांसे १॥ फर्लाग पर एक कुण्ड है जिसमें यात्री स्नान करते है। यमुनोत्रीसे पुनः इसी स्थान होकर गंगोत्री जानेका है, इसलिये चाहिये कि यात्री अपना ज्यादा बोमा हो तो यहां दुकानदारों के वहां रख आगे बढ़े। यहांसे भागे दो मीलका सीधा रास्ता है, बादमें १ माइल की चढ़ाई और फिर आगे सीधा रास्ता चला गया है। (२०) यमुना चट्टी यहां बाबा काली कमलीपालेकी धर्मशाला और सदाबत है। यहां कुछ शीतका अनुभव होता है। स्थान अच्छा है। यहांसे आगे १ मीलकी चढ़ाई के बाद रास्ता सीधा चला गया है। (२१) हनुमान चट्टी-यहां बाबा काली कमलीवाले की धर्मशाला और सदावत है। स्थान अच्छा है। आगे मार्ग सुगम है। ___ (२२) जानकी चट्टी (मार्कण्ड तीर्थ) यहां धर्मशाला की बगल में गरम पानीका स्रोत है, जिसमें यात्री स्नान करते है। यहाँसे आगे १ मीलका सीधा रास्ता है और बादमें on मोलकी चढ़ाई है। फिर ०॥ मीलका सीधा रास्ता और १ माइलकी चढ़ाइके अन्तमें यमुनोत्री तक उतार ही उतारका रास्ता है। मुनोत्री यह हिन्दु धर्मका परम पुनीत तीर्थस्थान है। यहां कई एक धाराएँ मिलकर यमुनाका प्रवाह होता है। कुछ धाराओंका पानी तो इतना गरम है कि Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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